Sunday, June 15, 2014

दहेज


अशोक भाई ने घर मेँ पैर
रखा....‘अरी सुनतीे हो !'
आवाज सुनते ही अशोक भाई की पत्नी हाथ मेँ
पानी का गिलास लेकर बाहर आयी और
बोली"अपनी सोनल का रिश्ता आया है,
अच्छा भला इज्जतदार सुखी परिवार है,लडके
का नाम युवराज है ।
बैँक मे काम करता है।
बस सोनल हाँ कह दे तो सगाई करदेते है.
"सोनल उनकी एकमात्र लडकी थी..
घर मेँ हमेशा आनंद का वातावरण रहता था ।
कभी कभार अशोक भाई सिगरेट व पान मसाले के
कारण उनकी पत्नी और सोनल के साथ
कहा सुनी हो जाती लेकिन अशोक भाई मजाक मेँ
निकाल देते ।
सोनल खूब समझदार और संस्कारी थी ।
S.S.C पास करके टयुशन, सिलाई काम करके
पिता की मदद करने की कोशिश करती ।
अब तो सोनल ग्रज्येएट हो गई थी और
नोकरी भी करती थी लेकिन अशोक भाई
उसकी पगार मेँ से एक रुपया भी नही लेते थे...
और रोज कहते ‘बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे
भविष्य मेँ तेरे काम आयेगी ।
'दोनो घरो की सहमति से सोनल और युवराज
की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त
भी निकलवा दिया.
अब शादी के 15 दिन और बाकी थे.
अशोक भाई ने सोनल को पास मेँ बिठाया और
कहा-" बेटा तेरे ससुर से मेरी बात हुई...
उन्होने कहा दहेज मेँ कुछ नही लेँगे,
ना रुपये, ना गहने और ना ही कोई चीज ।
तो बेटा तेरे शादी के लिए मेँने कुछ रुपये
जमा किए है।
यह दो लाख रुपये मैँ तुझे देता हूँ।..
तेरे भविष्य मेँ काम आयेगे, तू तेरे खाते मे
जमा करवा देना.'"OK PAPA" - सोनल ने
छोटा सा जवाब देकर अपने रुम मेँ चली गई.
समय को जाते कहाँ देर लगती है ?
शुभ दिन बारात आंगन में आयी,
पंडितजी ने चंवरी मेँ विवाह विधि शुरु की।
फेरे फिरने का समय आया....
कोयल जैसे कुहुकी हो ऐसे सोनल दो शब्दो मेँ
बोली"रुको पडिण्त जी ।
मुझे आप सब की उपस्तिथि मेँ मेरे पापा के साथ
बात करनी है,"“पापा आप ने मुझे लाड प्यार से
बडा किया, पढाया, लिखाया खूब प्रेम
दिया इसका कर्ज तो चुका सकती नही...लेकिन
युवराज और मेरे ससुर जी की सहमति से आपने
दिया दो लाख रुपये का चेक मैँ वापस देती हूँ।
इन रुपयों से मेरी शादी के लिए लिये हुए उधार
वापस दे देना और दूसरा चेक तीन लाख जो मेने
अपनी पगार मेँ से बचत की है...
जब आप रिटायर होगेँ तब आपके काम आयेगेँ,मैँ
नही चाहती कि आप को बुढापे मेँ आपको किसी के
आगे हाथ फैलाना पडे !
अगर मैँ आपका लडका होता तब
भी इतना तो करता ना ? !!!
"वहाँ पर सभी की नजर सोनल पर
थी...“पापा अब मैं आपसे जो दहेज मेँ मांगू
वो दोगे ?
"अशोक भाई भारी आवाज मेँ -"हां बेटा",
इतना ही बोल सके ।
"तो पापा मुझे वचन दो"आज के बाद सिगरेट के
हाथ नही लगाओगे....तबांकु, पान-मसाले
का व्यसन आज से छोड दोगे।
सब की मोजुदगी मेँ दहेज मेँ बस
इतना ही मांगती हूँ ।."लडकी का बाप मना कैसे
करता ?
शादी मे लडकी की विदाई समय कन्या पक्ष
को रोते देखा होगा लेकिन आज
तो बारातियो कि आँखो मेँ आँसुओ कि धारा निकल
चुकी थी।7
मैँ दूर से सोनल को लक्ष्मी रुप मे देख
रहा था....501 रुपये का लिफाफा मैं अपनी जेब
से नही निकाल पा रहा था....साक्षात
लक्ष्मी को मैं कैसे लक्ष्मी दूं ??
लेकिन एक सवाल मेरे मन मेँ जरुर उठा,“भ्रूण
हत्या करने वाले लोगो को सोनल
जैसी लक्ष्मी मिलेगी क्या" ???
कृपया रोईए नही, आंसू पोछिए और
प्रेरणा लीजिये.............................!!!!!

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