प्रकृति जो दोनों हाथो से लुटाये खुशिया जनमो जनम .!
जिंदिगी में आ के चूम ले, हर खुशी आपके हर कदम !
यदि आप का कल का दिन आप को मायूस करने वाला भी था तो
परेशान मत होईये, घबराईये मत
अगर जिंदगी का एक ही रंग होता तो नीरस हो जाती
दुःख-सुख, अनुकूल-प्रतिकूल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
पैमाना तभी बन सकता है
जब जांचने-परखने को एक से अधिक वस्तुएं या परिस्थितियाँ हों
इश्वर एक है तो उसकी तुलना किस-से करोगे
जो है सो है , जैसा है- वैसा ही है
तभी तो कबीर ने कहा था
"एक कहूँ तो है नहीं-दो कहूँ तो गारी"
"एक" - इश्वर एक है ............ये कहा नहीं जा सकता
यह तो कोई बात नहीं हुई
क्यूं कि एक कहते ही प्रश्न पैदा हो जाता है
एक ---क्या मतलब
तो कहना पड़ता है मतलब जो............. दो नहीं
जब तक 1 के साथ 2......3...........4..आदि
मुकाबले के लिए नहीं होंगे तो
एक का कोई महत्व ही नहीं रह जायेगा
और परमात्मा दो हो नहीं सकते
इसी लिए "अद्वैत" मत बना
जिस के अनुसार
दो से जो कम है
अत: एक ही रंग मैं जिंदगी कि व्याख्या
उसी तरह असम्भव है जैसे ईश्वर की
अगर कल -या अतीत असुन्दर न होता तो
आज सुंदर होने का भान नहीं हो सकता था
आज सुंदर है मतलब कल इस जैसा नहीं था
आज ज्यादा सुंदर है मतलब कल कम सुंदर था
हो सकता है आने वाला कल
आज से भी अधिक सुंदर और भाग्यशाली हो
जैसी भी है जो भी है बड़ी बड़ी हसीन ये ज़िन्दगी है!!......
good morning............
सुप्रभात............
-रवि "घायल"
जिंदिगी में आ के चूम ले, हर खुशी आपके हर कदम !
यदि आप का कल का दिन आप को मायूस करने वाला भी था तो
परेशान मत होईये, घबराईये मत
अगर जिंदगी का एक ही रंग होता तो नीरस हो जाती
दुःख-सुख, अनुकूल-प्रतिकूल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
पैमाना तभी बन सकता है
जब जांचने-परखने को एक से अधिक वस्तुएं या परिस्थितियाँ हों
इश्वर एक है तो उसकी तुलना किस-से करोगे
जो है सो है , जैसा है- वैसा ही है
तभी तो कबीर ने कहा था
"एक कहूँ तो है नहीं-दो कहूँ तो गारी"
"एक" - इश्वर एक है ............ये कहा नहीं जा सकता
यह तो कोई बात नहीं हुई
क्यूं कि एक कहते ही प्रश्न पैदा हो जाता है
एक ---क्या मतलब
तो कहना पड़ता है मतलब जो............. दो नहीं
जब तक 1 के साथ 2......3...........4..आदि
मुकाबले के लिए नहीं होंगे तो
एक का कोई महत्व ही नहीं रह जायेगा
और परमात्मा दो हो नहीं सकते
इसी लिए "अद्वैत" मत बना
जिस के अनुसार
दो से जो कम है
अत: एक ही रंग मैं जिंदगी कि व्याख्या
उसी तरह असम्भव है जैसे ईश्वर की
अगर कल -या अतीत असुन्दर न होता तो
आज सुंदर होने का भान नहीं हो सकता था
आज सुंदर है मतलब कल इस जैसा नहीं था
आज ज्यादा सुंदर है मतलब कल कम सुंदर था
हो सकता है आने वाला कल
आज से भी अधिक सुंदर और भाग्यशाली हो
जैसी भी है जो भी है बड़ी बड़ी हसीन ये ज़िन्दगी है!!......
good morning............
सुप्रभात............
-रवि "घायल"
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