अज समय आ गया है जब हमें
सोचना होगा कि आज हमारा यह
हाल क्यों है ..
हम विजय दशमी मनाते हैं
और अच्छाई की बुराई पर जीत की
बातें करते हैं .
पर क्या कभी सोचा है कि
आज का हर प्राणी
"रावण"............ .
(जिसके मरने की ख़ुशी मनाते हैं )
के मुकाबले मैं कितना अच्छा है ....
रावण ने तो एक सीता का अपहरण किया
आज तो न जाने
कितनी सीतायें रोज अपहरण की जाती हैं ....
कितने पाप रोज़ किये जाते हैं,
कितने बलात्कार रोज़ होते हैं .
रावण ने तो केवल निवेदन ही किया था
सीता से बलात्कार करने का
कभी प्रयास भी नहीं किया ...
फिर रावण बुरा कैसे हुआ ..
क्या आप नहीं जानते कि
रावण एक महान पंडित और ज्ञाता भी था ...
विनाश काले विपरीत बुद्धि
वक़त कभी किसी का सगा नहीं हुआ
जब बुरा वक़त आता है तो अच्छे
से अच्छे आदमी कि मति भ्रष्ट हो जाती है
तब आदमी का
बर्ताव ....
मन ...
वचन ..
कर्म...
कुछ भी उसके वश में नहीं रहता
होई है सोई जो राम रची राखा
यह रामायण का ही कहना है
फिर हम रावण को दोष कैसे दे सकते हैं ...
दोष तो समय ..का ...हुआ
आओ आज बजाये रावण के सिर, दोष मढने की बजाए
परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करें कि हमें इस
प्रकार के बुरे वक़्त से बचाएँ .
हमें सदबुद्धी दें और
अगर बुरा वक़्त हमारे भाग्य
में लिखा ही है
तो उस बुरे वक़त को संयम और सदबुद्धी
से बिना किसी नुक्सान के बिताने का वरदान दें
ॐ तथास्तु
No comments:
Post a Comment