आपकी आँखों के सामने वर्तमान में क्या हो रहा है,
अक्सर मानव उसी को देख और समझ पाता है
अक्सर मानव ये नहीं जानता कि वर्तमान का वास्तव में अतीत से गहरा सम्बन्ध है
इसके अतिरिक्त वर्तमान भविष्य के कार्यक्रम की रूपरेखा भी है ।
प्रत्येक जन्म, अपने अतीत के, पिछले जन्म के, अनुभवों और स्मृतियों को चाहे भूल चुका होता है मगर वर्तमान जन्म, पूर्वजन्म के संस्कारों का परिणाम मात्र ही होता है,
यह एक बहुत पुराना प्रश्न है कि पहले मुर्गी पैदा हुई या अंडा
या यूं भी कह सकते हैं पहले वृक्ष हुआ या बीज
ये ठीक है कि अगर आज तक कोई इन प्रश्नों का उत्तर नहीं ढूंढ पाया तो आप भी शायद ना जान पायें,
परन्तु आप इस चक्र को रोक सकते हैं.......
यदि आप बीज को पका कर सब्जी बना लेते हैं, तो उस बीज से नये वृक्ष कि उत्पत्ति का चक्र रुक जाएगा
इसी प्रकार यह बात इस तरह समझी जा सकती है कि वर्तमान तो मान लिया हमारे पूर्वजन्मों अथवा हमारे अतीत के कर्मों का फल है, परन्तु क्योंकि यही वर्तमान भविष्य की रूपरेखा भी है,
अगर हम चाहें तो भविष्य का अंत कर सकते हैं ........जड़ हो कर
और यदि अंत किया जा सकता है
तो अपनी इच्छा अनुसार इस भविष्य की रूपरेखा तैयार करना भी हमारे ही हाथ है
यदि वर्तमान में अच्छे कर्म करेंगे तो भविष्य निश्चित ही अच्छा होगा
और बुरे कर्मों का भविष्य बुरा होने से कोई भी शक्ति अथवा वरदान या आशीर्वाद नहीं बचा सकता
इसी क्रम में यह भी कहना गल्त नहीं होगा
कि जन्म-मरण के चक्र का अंत अर्थात मोक्ष प्राप्ति हमारे अपने हाथ में है, बस अपने वर्तमान को सहेजो, अपनी भविष्य की इच्छा के अनुरूप इसका उपयोग करो
और यदि आप अपना भविष्य अच्छा चाहोगे तो वो निश्चय हे अच्छा होगा
बुरा चाहोगे तो बुरा होगा और अगर मोक्ष की कामना होगी तो मोक्ष भी मिलेगा
हमारे पूर्व के ऋषि-मुनियों द्वारा रचित ग्रन्थों व् शास्त्रों का मकसद
केवल और केवल आप के मन में इस बात को अच्छी तरह स्थापित करना मात्र था
न कि आप को गुमराह करने का,
जैसा कि, आजकल ढोंगी, धर्मगुरु और मठाधीश, षड्यंत्र अथवा प्रयासकर रहे हैं l